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उपवन का सदाबहार फूल भी मुरझाया सा लगा, मेरा अक्स भ

उपवन का सदाबहार फूल भी मुरझाया सा लगा,
मेरा अक्स भी आज मुझे पराया सा लगा।

जो बदल जाता है पल पल में मौसम की तरह, 
वो वक़्त भी मुझे अब आज़माया सा लगा।

जो सवालों की झड़ी लगाते रहे मेरे बुरे हालात में,
मेरे एक सवाल पर वो तिलमिलाया सा लगा।

जिसने सम्हाला तुम्हें हर कदम पर संबल की तरह,
वो आज मुश्किल दौर मे लड़खड़ाया सा लगा।

©दिनेश
  उपवन के फूल

उपवन के फूल #कविता

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