प्रेम की चिता पे धधक रहा धुँआ, स्वार्थ का भाव लेकर चल रहा मनुज कैसा व्यवहार की तुम बात ना पूछो? मुसाफ़िर, बस चल रहा य़ह संसार कैसा? *उठ रहा है इस धरा से / तारकेश्वरी तरु 'सुधि'.....कविता का अंश Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of - ~कवियत्री तारकेश्वरी तरु 'सुधि' ✴️Highlight the quote first. ✴️Collab on the Quotes of kautukii. ✴️write a 2 liner original composition/ couplet ,purely in hindi,No plagiarism please.