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प्रेम की चिता पे धधक रहा धुँआ, स्वार्थ का भाव लेकर

प्रेम की चिता पे धधक रहा धुँआ, स्वार्थ का भाव लेकर चल रहा मनुज कैसा 
व्यवहार की तुम बात ना पूछो? मुसाफ़िर, बस चल रहा य़ह संसार कैसा?  *उठ रहा है इस धरा से / तारकेश्वरी तरु 'सुधि'.....कविता का अंश

Greetings from Kautukii.. collab your original couplet with the couplet of - ~कवियत्री तारकेश्वरी तरु 'सुधि'

✴️Highlight the quote first. 
✴️Collab on the Quotes of kautukii. 
✴️write a 2 liner original composition/    
    couplet ,purely in hindi,No plagiarism please.
प्रेम की चिता पे धधक रहा धुँआ, स्वार्थ का भाव लेकर चल रहा मनुज कैसा 
व्यवहार की तुम बात ना पूछो? मुसाफ़िर, बस चल रहा य़ह संसार कैसा?  *उठ रहा है इस धरा से / तारकेश्वरी तरु 'सुधि'.....कविता का अंश

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krishvj9297

Krish Vj

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