कैसी दो राहें पे ला खड़ी कर दी है जिंदगी एक तरफ है मेहबूब-सा शहर एक तरफ सपनों का महल एक तरफ मां के आंचल का शितल साया एक तरफ सपनों का मोहमाया #सपने या #अपने