5. भेजता भी है नहीं ससुराल इसको हरखुआ फिर कोई बाँहों में इसको भींच ले तो क्या हुआ आज सरजू पार अपने श्याम से टकरा गई जाने-अनजाने वो लज्जत ज़िंदगी की पा गई वो तो मंगल देखता था बात आगे बढ़ गई वरना वह मरदूद इन बातों को कहने से रही जानते हैं आप मंगल एक ही मक़्क़ार है हरखू उसकी शह पे थाने जाने को तैयार है कल सुबह गरदन अगर नपती है बेटे-बाप की गाँव की गलियों में क्या इज़्ज़त रहे्गी आपकी बात का लहजा था ऐसा ताव सबको आ गया हाथ मूँछों पर गए माहौल भी सन्ना गया था भेजता भी है नहीं #ससुराल इसको हरखुआ फिर कोई बाँहों में इसको भींच ले तो क्या हुआ आज #सरजू पार अपने #श्याम से टकरा गई जाने-अनजाने वो #लज्जत #ज़िंदगी की पा गई वो तो #मंगल देखता था बात आगे बढ़ गई वरना वह #मरदूद इन बातों को कहने से रही