सबकी ख्वाहिश अलग होती है अजीब सियाह रात है आजकल पहलेसी नहीं अब बारिश अलग होती है आसानी से टूटजाते हैं फूल गुलाब के मुरझाने से पहले रंगत अलग होती है वो स्कूल में आगे की सीट पे बैठते थे हमसी नहीं, उनकी संगत अलग होती है बहुत गुजरी रंग बेरंग सी होलियां उनके हाथों से लगे रंग की कसम से रंगत अलग होती है — % & सब कहाँ मिलता है सब को... #सबकहाँमिलताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi