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सबकी ख्वाहिश अलग होती है अजीब सियाह रात है आजकल पह

सबकी ख्वाहिश अलग होती है
अजीब सियाह रात है आजकल
पहलेसी नहीं अब बारिश अलग होती है
आसानी से टूटजाते हैं फूल गुलाब के
मुरझाने से पहले रंगत अलग होती है
वो स्कूल में आगे की सीट पे बैठते थे
हमसी नहीं, उनकी संगत अलग होती है
बहुत गुजरी रंग बेरंग सी होलियां
उनके हाथों से लगे रंग की
कसम से रंगत अलग होती है


— % & सब कहाँ मिलता है सब को...
#सबकहाँमिलताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
सबकी ख्वाहिश अलग होती है
अजीब सियाह रात है आजकल
पहलेसी नहीं अब बारिश अलग होती है
आसानी से टूटजाते हैं फूल गुलाब के
मुरझाने से पहले रंगत अलग होती है
वो स्कूल में आगे की सीट पे बैठते थे
हमसी नहीं, उनकी संगत अलग होती है
बहुत गुजरी रंग बेरंग सी होलियां
उनके हाथों से लगे रंग की
कसम से रंगत अलग होती है


— % & सब कहाँ मिलता है सब को...
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tarunmadhukar6794

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