ये जंगल, ये पहाड़ बहती नदियाँ, गिरते झरने "सुकून बहुत देता है" अब तुम कहोगे, ये सब कुछ दिन का ही है हाँ, जो भी हो "सुकून बहुत देता है" ज़ब-ज़ब इनके करीब जाता हूँ कोई अपना सा मुझे खींचता है ज़ब-ज़ब वहाँ से उठ के आता हूँ ऐसा लगता है, उधड़ रहा हूँ अब तुम कहोगे, ये सब कुछ दिन ही अच्छा लगता है हाँ, जो भी हो पर "सुकून बहुत देता है" 🍁विकास कुमार🍁 ©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी