चूमकर मेरे लबों को फिर तुम गुलाब कर दो, कि कई दिनों से इनकी रंगत फीकी फीकी है। जब भी पियूँ मैं घूंट घूंट कड़वी चाय साथ तुम्हारे, बस होठों से लगा लेना कि लगे ये मीठी मीठी है। कुछ तो हलचल मचे कोई तूफान सा आये, ये धड़कन भी तो कुछ दिन से धीमी धीमी है। मिर्च की तरह जुबान जला देती है हमेशा मेरी, हाँ तेरी मुहब्बत मेरे सनम तीखी तीखी है.. ©सखी #मुहब्बत #तीखी