धूप तेज थी और सूरज भी सर पर था मैं बांधकर कपड़ा चेहरे पर , चेहरा भी ना बचाता तो क्या करता और आंधियां जोरो की चली थी शहर में और मेरे घर में दरवाजा भी नहीं था मैं खिड़कियां भी ना लगाता तो क्या करता धूप तेज थी और #सूरज भी सर पर था मैं #बांधकर #कपड़ा चेहरे पर ,#चेहरा ना बचाता तो क्या करता #आंधियां जोरो की चली थी शहर में और मेरे घर में #दरवाजा भी नहीं था मैं #खिड़कियां भी ना #लगाता तो क्या करता