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दिनकर जी की लेखनी में भारत की संस्कृति को देखता हू

दिनकर जी की लेखनी में भारत की संस्कृति को देखता हूं
उनकी रचना मानो सोने में सुहागा हो जैसे
उनकी लेखन में समस्त प्रतिभा को देखता हूं।
जब जब पढ़ता हूं उनकी रचनाओं को
रम सा जाता हूं मैं भाव विभोर हो जाता हूं
कुछ श्रेय है उनका और उनकी रचनाओं का
उनके जैसा लिख तो नहीं पाता,
किन्तु लिखने की कोशिश करता हूं,
इसलिए मैं दिनकर जी को साहित्य का
अनमोल रतन कहता हूं।। आज हिंदी के मूर्धन्य कवि #रामधारीसिंहदिनकर का जन्मदिवस है। 23 सितंबर 1908 में बिहार के बेगूसराय ज़िले के सिमरिया गाँव में उनका जन्म हुआ। "संस्कृति के चार अध्याय" किताब के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1959 में पद्म भूषण से सम्मानित हुए।
24 अप्रैल 1974 को उनका निधन हुआ।
#collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
दिनकर जी की लेखनी में भारत की संस्कृति को देखता हूं
उनकी रचना मानो सोने में सुहागा हो जैसे
उनकी लेखन में समस्त प्रतिभा को देखता हूं।
जब जब पढ़ता हूं उनकी रचनाओं को
रम सा जाता हूं मैं भाव विभोर हो जाता हूं
कुछ श्रेय है उनका और उनकी रचनाओं का
उनके जैसा लिख तो नहीं पाता,
किन्तु लिखने की कोशिश करता हूं,
इसलिए मैं दिनकर जी को साहित्य का
अनमोल रतन कहता हूं।। आज हिंदी के मूर्धन्य कवि #रामधारीसिंहदिनकर का जन्मदिवस है। 23 सितंबर 1908 में बिहार के बेगूसराय ज़िले के सिमरिया गाँव में उनका जन्म हुआ। "संस्कृति के चार अध्याय" किताब के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1959 में पद्म भूषण से सम्मानित हुए।
24 अप्रैल 1974 को उनका निधन हुआ।
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