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चाहतों में चाह, मगर नाकाम हो गये। दिन भर की उदासी

चाहतों में चाह, मगर नाकाम हो गये।
दिन भर की उदासी से बढ़कर एक शाम हो गये।।
हसरतों को संभाला मगर कुछ काम न बना।
तेरे नाम में जिये इतना कि खुद गुमनाम हो गये।।

©Shubham Bhardwaj
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