जाने क्या कैफियत हुई हमारे दरमियां ,जो हम रूठ गए, जो लिए फिरते थे हाथों में हाथ , देखो आज छूट गए , हुनर रह ही नहीं गया उनमें , जज्बातों के पाबंदियों पर समेटना तो चाहे बरसो के गुबार,मगर साथ बैठे तो आंखों से फूट गए जाने क्या कैफियत हुई #yourquote #minequote #mine_only #words #deepthoughts #readingminds #pen #loverstales