122 122 122 122 मुझे आँधियों का पता तुम बता दो मुक़द्दस दिया मेरा फिर से जला दो मुझे साक़ी थोड़ी सी मय अब पिला दो मुझे मयकशी का मज़ा भी दिला दो नई सुब्ह आने को है इस जहां में दरीचों से चिलमन सभी अब हटा दो मैं डरता नहीं हूँ किसी से जहां में मैं चिंगारी हूँ मुझको थोड़ी हवा दो वफ़ाएँ सभी से ही मैंने करीं हैं ज़फाओं के बदले मुझे भी वफ़ा दो "सफ़र" ख़ारज़ारों का क्यों हो गया है गुलिस्ताँ का अपने मुझे तुम पता दो #gazal #shayari #yqbaba #सफ़र_ए_प्रेरित #yqdidi ashish malik