कुछ रस्में मेरी हैं, कुछ रिवायतें तेरी हैं, कुछ समाज की भी दीवारें हैं,नफ़रतें हैं, कैंसे होगा मिलन,पहले से ही फ़ासले हैं, चलो छोड़ो प्यार व्यार,दोस्ती ही करते हैं, नफ़रतें नहीं इसमें, खुशियाँ तो बाँटते हैं, छोड़ रस्मों रिवायतों को दोस्ती निभाते हैं। #रस्में #रिवायतें #दोस्ती #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqchallenge #yqpoetry