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एक लिबास रूह पे ओढ़े रखता हूं मैं ज़िस्म नहीं रूह

एक लिबास रूह पे ओढ़े रखता हूं मैं
ज़िस्म नहीं रूह दिखाने से डरता हूँ मैं 

देने को तो लाखों दलीलें रखता हूं मैं 
यूँ ही सबके सामने ख़ामोश रहता हूं मैं 

ज़माने से किया हर वादा निभाता हूँ मैं 
 वादा खिलाफी का हक़ ख़ुद से ही रखता हूँ मैं 

कोई जान ना पाए अस्ल मे क्या हूँ मैं 
इस वज़ह से गुफ़्तगू आईने से करता हूँ मैं 

गुफ़्तगू आईने से करता हूँ मैं ❣️ #nojoto_poetry #hindi_poetry #khayalat #two_liner #pure_work_of_fiction #kuch_bhi #sa_bbr
एक लिबास रूह पे ओढ़े रखता हूं मैं
ज़िस्म नहीं रूह दिखाने से डरता हूँ मैं 

देने को तो लाखों दलीलें रखता हूं मैं 
यूँ ही सबके सामने ख़ामोश रहता हूं मैं 

ज़माने से किया हर वादा निभाता हूँ मैं 
 वादा खिलाफी का हक़ ख़ुद से ही रखता हूँ मैं 

कोई जान ना पाए अस्ल मे क्या हूँ मैं 
इस वज़ह से गुफ़्तगू आईने से करता हूँ मैं 

गुफ़्तगू आईने से करता हूँ मैं ❣️ #nojoto_poetry #hindi_poetry #khayalat #two_liner #pure_work_of_fiction #kuch_bhi #sa_bbr