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निरंतर प्रगति।

निरंतर प्रगति।                                                                      परन्तु सत्यनिष्ठों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान हैं , जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है ( नीतिवचन ४ ; १८ ) । एक वस्तु जो आप अपने जीवन में देखना चाहते है, वह है निरंतर सफलता । जब मैं कहता हूँ , “ कि मैं हमेशा आगे और ऊपर उठ रहा हूँ ” , तो यह अतिश्योक्ति या एक ऐसी वस्तु की घोषणा नही है; जो मैं चाहता हूँ कि हो जाएँ : नही ! यह मेरे जीवन की वास्तविकता है , जो कि परमेश्वर के वचन के द्वारा संभव बनाई गई है । मैं हमेशा प्रगति कर रहा हूँ , मसीह में हमारा यही जीवन है । _ _ _ आप बहुत सिलसिरेवार हो सकते है , अपने काम , सेवकाई और अपने जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति करते हुए । क्योंकि मसीही के लिए , परिस्थितिवश समृद्ध होना समृद्धि नहीं है । कुछ लोग समृद्ध हो सकते है उस समय की परिस्थिती के कारण । जब आर्थिक स्थितीयाँ उनके अनुकूल होती है , तो वे अच्छा करते है , लेकिन जब एक बदलाव आता है , तो उनकी समृद्धि नीचे चली जाती है । यह काफी नही है । अब्राहम , इसहाक और याकूब का अध्ययन कीजिए , वे समृद्ध हुए , परमेश्वर के साथ चले , उनके समय की आर्थिक परिस्थितीयो के बावजूद । उत्पत्ति २६ ; १२ - १४ बात करता है कि कैसे इसहाक अकाल के समय में बहुत समृद्ध हुआ , कि पूरा देश उससे जलने लगा : “ फिर इसहाक ने उस देश में जोता बोया , और उसी वर्ष में सौ गुणा फल पाया ; और यहोवा ने उसको आशीष दी , और वह बढ़ा और उसकी उन्नति होती चली गई , यहाँ तक कि वह अति महान् पुरुष हो गया । जब उसके भेड़ - बकरी , गाय - बैल , और बहुत से दास - दासियाँ हुईं ; तब पलिश्ती उससे डाह करने लगे " । हम में से हर व्यक्ति के लिए ऐसा ही होना चाहिए , क्योंकि हम अब्राहम का वंश है । परमेश्वर और जीवन के विषय में हर वस्तु जो उसने हमें दी है उसमें निरंतरता ही दिखती है । इसलिए , अनियमित सफलता के साथ समझौता करना मना कर दीजिए । घोषणा कीजिए , “ मेरा जीवन केवल आगे और ऊपर ही जा रहा है , " और फिर वचन के साथ चिपके रहिए । वचन का अभ्यास कीजिए , यह एक अनंत सफलता के जीवन का रहस्य है । १तीमुथियुस ४ ; १५ हमे बताता है कि परमेश्वर के वचन पर मनन करना सतत वृद्धि की गारंटी है । पौलुस ने तीमोथि को लिखा , “ इन बातों का अभ्यास कर और अपने आपको इन्हें समर्पित कर , ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो " । हालेलुयाह ! 
                    आप मेरे साथ प्रार्थना कर सकते हैं।                      प्यारे पिता , मेरे जीवन में आपके वचन की वास्तविकता के लिए धन्यवाद, जिसके कारण मैं निरंतर वृद्धि करता हूँ । मेरा जीवन केवल आगे और ऊँचाई के लिए है , मेरे विश्व की अनियमित और सिकुड़ती हुई आर्थिक व्यवस्थाओ के बावजूद । मैं घोषणा करता हूँ, कि मैं प्रभु यीशु मसीह के नाम में संपूर्ण और निरंतर विजय में जीता हूँ । आमीन ।

निरंतर प्रगति। परन्तु सत्यनिष्ठों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान हैं , जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है ( नीतिवचन ४ ; १८ ) । एक वस्तु जो आप अपने जीवन में देखना चाहते है, वह है निरंतर सफलता । जब मैं कहता हूँ , “ कि मैं हमेशा आगे और ऊपर उठ रहा हूँ ” , तो यह अतिश्योक्ति या एक ऐसी वस्तु की घोषणा नही है; जो मैं चाहता हूँ कि हो जाएँ : नही ! यह मेरे जीवन की वास्तविकता है , जो कि परमेश्वर के वचन के द्वारा संभव बनाई गई है । मैं हमेशा प्रगति कर रहा हूँ , मसीह में हमारा यही जीवन है । _ _ _ आप बहुत सिलसिरेवार हो सकते है , अपने काम , सेवकाई और अपने जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति करते हुए । क्योंकि मसीही के लिए , परिस्थितिवश समृद्ध होना समृद्धि नहीं है । कुछ लोग समृद्ध हो सकते है उस समय की परिस्थिती के कारण । जब आर्थिक स्थितीयाँ उनके अनुकूल होती है , तो वे अच्छा करते है , लेकिन जब एक बदलाव आता है , तो उनकी समृद्धि नीचे चली जाती है । यह काफी नही है । अब्राहम , इसहाक और याकूब का अध्ययन कीजिए , वे समृद्ध हुए , परमेश्वर के साथ चले , उनके समय की आर्थिक परिस्थितीयो के बावजूद । उत्पत्ति २६ ; १२ - १४ बात करता है कि कैसे इसहाक अकाल के समय में बहुत समृद्ध हुआ , कि पूरा देश उससे जलने लगा : “ फिर इसहाक ने उस देश में जोता बोया , और उसी वर्ष में सौ गुणा फल पाया ; और यहोवा ने उसको आशीष दी , और वह बढ़ा और उसकी उन्नति होती चली गई , यहाँ तक कि वह अति महान् पुरुष हो गया । जब उसके भेड़ - बकरी , गाय - बैल , और बहुत से दास - दासियाँ हुईं ; तब पलिश्ती उससे डाह करने लगे " । हम में से हर व्यक्ति के लिए ऐसा ही होना चाहिए , क्योंकि हम अब्राहम का वंश है । परमेश्वर और जीवन के विषय में हर वस्तु जो उसने हमें दी है उसमें निरंतरता ही दिखती है । इसलिए , अनियमित सफलता के साथ समझौता करना मना कर दीजिए । घोषणा कीजिए , “ मेरा जीवन केवल आगे और ऊपर ही जा रहा है , " और फिर वचन के साथ चिपके रहिए । वचन का अभ्यास कीजिए , यह एक अनंत सफलता के जीवन का रहस्य है । १तीमुथियुस ४ ; १५ हमे बताता है कि परमेश्वर के वचन पर मनन करना सतत वृद्धि की गारंटी है । पौलुस ने तीमोथि को लिखा , “ इन बातों का अभ्यास कर और अपने आपको इन्हें समर्पित कर , ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो " । हालेलुयाह ! आप मेरे साथ प्रार्थना कर सकते हैं। प्यारे पिता , मेरे जीवन में आपके वचन की वास्तविकता के लिए धन्यवाद, जिसके कारण मैं निरंतर वृद्धि करता हूँ । मेरा जीवन केवल आगे और ऊँचाई के लिए है , मेरे विश्व की अनियमित और सिकुड़ती हुई आर्थिक व्यवस्थाओ के बावजूद । मैं घोषणा करता हूँ, कि मैं प्रभु यीशु मसीह के नाम में संपूर्ण और निरंतर विजय में जीता हूँ । आमीन । #nojotovideo #Life_experience

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