तुमसे मिली हूँ जब से हो गई नास्तिक की चाहते भी रब से इन नज़रों ने तुमको देखा हैं जब से हे कान्हा मेरे... मोहन मेरे तेरे ही ख़्वाब लिए बैठी हूँ तब से नभ तलक तुझे ढूंढने को चिड़ियाँ पगली सी भटक रही हूँ कब से न खाने का सहुर हैं, न पहनने का होंश मैं मस्तानी सी झूम रही हूँ मद से हाँ मैं खिलने लगी हूँ तुम्हारे एहसासों से मुझे पाता ही नहीं चली कि माधव मेरे "मीरा को " तुमसे ये मोहब्बत हो गई है कब से 🌺तेरी वफ़ादारी के लिए, ख़ुद को औरों से जुदा रखती हूँ श्याम मेरे.. कान्हा मेरे.... कृष्ण मेरे...💕🌺 जाते होंगे लोग मंदिर-मस्जिद, मैं तो तुझे ही ख़ुदा रखती हूँ...💝😍 ।।गोपिका।। मईया ओ मईया.... मोरी ये आपके भक्ति को समर्पित है बहना 🙏💕☺️🙏 🌺राधे राधे छुटकी 🌺🙏जय श्री कृष्णा 🌺🙏 शुभ निशा 🙏🌺😊 #मीरा_का_श्याम