जाने कसक रकीब बन फिरे तिनकों तक तहस नहस करें, थर-थर अब-तब क्या ही करें, सबसे आजाद, खुद में कैद रहें। घुटने तक डूबे क्या खैर करें, तरकश अपना, हां, तीर अपने, अपने दिल पर हर वार चले, कहो, कहां, किससे गुहार करें! किये धरती सा मजबूत सीना, यहां सागर सी व्याकुल जियूं.. धर लें माथा, कुछ आराम मिले.. इन कांधे को देख मेरा जी कहें! जाने कसक रकीब बन फिरे तिनकों तक तहस नहस करें, थर-थर अब-तब क्या ही करें, सबसे आजाद, खुद में कैद रहें। घुटने तक डूबे क्या खैर करें, तरकश अपना, हां, तीर अपने, अपने दिल पर हर वार चले,