तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल महक उठा कस्तूरी बन कर थिरकूँ तेरी ताल सबा धूप की धानी ओढूं रंग इतर का आए खुद में देखूँ तुझको जैसे खड़ा ख़ुदा मुस्काए रोम रोम में नूर थिरकता ऐसा तेरा जमाल तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल इश्क़ इबादत ज़रदोज़ी सा काढ़ा रुह के तार बूटे गुँचे खिले पश्म से कलफ़ हुआ हर बार करघा राँझा बन कर घूमे ऐसा तेरा कमाल तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल मैं रहट का साज सुहाना धुन में तेरी चूर और वक़्त के बैल जुते हैं बन कर मेरा फ़ितूर लम्हे रोज ढले सदियों से, पल में बीता साल तेरी प्रीत के रंग रंगा में उड़ता फिरूँ गुलाल मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनवाँ @ गुलाल ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #Nojoto #Hindi