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अल्फजो में क्या बया करू उसके हुस्न को हम तो आज भी

अल्फजो में क्या बया करू उसके हुस्न को
 हम तो आज भी उसकी एक दीदार के प्यासे है दिल की कलम से
अल्फजो में क्या बया करू उसके हुस्न को
 हम तो आज भी उसकी एक दीदार के प्यासे है दिल की कलम से