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# संजय देवी # The victim of domestic violence हर

# संजय देवी # 
The victim of domestic violence 
हर रोज बेरहमी से मुझे एक बंद कमरे में मारा जाता था ,
रूह काप जाती थी , पर कोई अपना अपनापन नहीं दिखाता था ,
वाक़िफ तो सब थे मेरी दुर्दशा से पर 
मुंह से किसी के एक शब्द नहीं निकल पाता  था , 
सब हैवान बन कर मुझ पर उंगलियां उठाते रहे,
मेरे अपने मुझे पराये  घर की धरोहर होने का शिकवा देते रहे ,
जब ससुराल वालो को बताया तो
 उन्होंने हर घर की कहानी है कहकर नजरअंदाज किया ,
पढ़ी लिखी तो बहुत थी मै लेकिन ,
मुझे समाज में परिवार की इज्जत का खौफ था , 
चुपचाप सुनती रही अपनो की घटिया सोच से निकली बातो को ,
हर एक गम पीती रहीं , सब कुछ सहती रही , उन अंधेरी रातो को ,
आखिर कब तक सहन कर पाती ,
हा फिर , हार गई  मै अपनो की दकियानूसी बातों से ,
फिर सोचा चलो खुद को आजाद करू इन झूठे रिश्ते नातों से ,
अब सब्र का बांध टूट गया 
कर बंद कमरा अंदर से , जहर खा लिया मैने ,
अपनों को पता चला तो हॉस्पिटल ले जाने के बजाय एक कमरे में बंद कर दिया गया मुझे ,
चाहे मरती है तो मर जाए , पर पुलिस के पास ना जाए , ऐसा कहा कुछ हैवानों ने ,
जब पता चला ज्यादा वक़्त नहीं है मेरे पास ,
तब मेरे अपनों को लगने लगा उनकी  इज्जत का नाश ,
तो फिर दिखावा करने लगे , एम्बुलेंस बुलाकर जयपुर ले जाने लगे ,वक़्त बीत रहा था ,अचानक बीच रास्ते में , मेरी सांसे थम गई और मैने अलविदा कर दिया दुनिया को , 
मरने के बाद सब लोगो के मुंह से एक ही बात निकलती थी ,
संजू बहुत अच्छी थी , 
जिंदा थी तब किसी ने तव्वजों नहीं दी , 
मरने के बाद मेरे घर में कुछ ढोंग इस तरह से किया जाता है ,
मेरी तस्वीर के आगे घी का दीपक जलाया जाता है,
और बहुत सारे मंत्रों का जाप किया जाता है ,

©Garima Jain # The victim of Domestic violence
# संजय देवी # 
The victim of domestic violence 
हर रोज बेरहमी से मुझे एक बंद कमरे में मारा जाता था ,
रूह काप जाती थी , पर कोई अपना अपनापन नहीं दिखाता था ,
वाक़िफ तो सब थे मेरी दुर्दशा से पर 
मुंह से किसी के एक शब्द नहीं निकल पाता  था , 
सब हैवान बन कर मुझ पर उंगलियां उठाते रहे,
मेरे अपने मुझे पराये  घर की धरोहर होने का शिकवा देते रहे ,
जब ससुराल वालो को बताया तो
 उन्होंने हर घर की कहानी है कहकर नजरअंदाज किया ,
पढ़ी लिखी तो बहुत थी मै लेकिन ,
मुझे समाज में परिवार की इज्जत का खौफ था , 
चुपचाप सुनती रही अपनो की घटिया सोच से निकली बातो को ,
हर एक गम पीती रहीं , सब कुछ सहती रही , उन अंधेरी रातो को ,
आखिर कब तक सहन कर पाती ,
हा फिर , हार गई  मै अपनो की दकियानूसी बातों से ,
फिर सोचा चलो खुद को आजाद करू इन झूठे रिश्ते नातों से ,
अब सब्र का बांध टूट गया 
कर बंद कमरा अंदर से , जहर खा लिया मैने ,
अपनों को पता चला तो हॉस्पिटल ले जाने के बजाय एक कमरे में बंद कर दिया गया मुझे ,
चाहे मरती है तो मर जाए , पर पुलिस के पास ना जाए , ऐसा कहा कुछ हैवानों ने ,
जब पता चला ज्यादा वक़्त नहीं है मेरे पास ,
तब मेरे अपनों को लगने लगा उनकी  इज्जत का नाश ,
तो फिर दिखावा करने लगे , एम्बुलेंस बुलाकर जयपुर ले जाने लगे ,वक़्त बीत रहा था ,अचानक बीच रास्ते में , मेरी सांसे थम गई और मैने अलविदा कर दिया दुनिया को , 
मरने के बाद सब लोगो के मुंह से एक ही बात निकलती थी ,
संजू बहुत अच्छी थी , 
जिंदा थी तब किसी ने तव्वजों नहीं दी , 
मरने के बाद मेरे घर में कुछ ढोंग इस तरह से किया जाता है ,
मेरी तस्वीर के आगे घी का दीपक जलाया जाता है,
और बहुत सारे मंत्रों का जाप किया जाता है ,

©Garima Jain # The victim of Domestic violence
garimajain1463

Garima Jain

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