न जाने किस जख्म कि वो दवा दे रहा है, हाथ मे खंज़र है और सलाह दे रहा है,, मुझसे पूछता है जुर्म मेरा वो इस कदर, मुझे दोशी ठहरा के हौसला दे रहा है,, व बड़ी तोहबते लगाई है उसने मुझ पर, बड़ी हमदर्दी के साथ सज़ा दे रहा है,, मुझे हक भी नहीं कि मुअक्किल बन सकू, गवाह सब उसके है ये बता दें रहा है,, और कहता हैं मोहित खताये मसरूफियत है, जो मेरी बेगुनाही के सबूत वो जला दे रहा है ......M.S.Writes.... #Masroofiyat