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कहर है यह मौसम का , या कहर है यह कुछ अदाओं का, या

कहर है यह मौसम का ,
या कहर है यह कुछ अदाओं का,
या हो कहर किसी के ख्वाब का,
या फिर टूटते अरमानों का,
सबकी अलग परिभाषाएं है
और मतलब भी सभी के अलग है,
कुछ चल पड़ते इन राहों में खुद के लिए,
तो कुछ ठहर जाते वहीं अपनों के लिए,
इस पूरे दस्तूर में बदल जाता हैं यह जमाना
और अपने भी बदल जाते है,
और बदलते तो हम भी है
पर समझ ही नही पाते किसके लिए......

©shweta Agarwal (sunshine)
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