अक्सर देखता हूं लोग कहते हैं, मेरे शब्दों का, मेरे जीवन से , कोई लेना देना नही... कल्पना क्या बस कल्पना है? वास्तविकता से दूर.... वास्तविकता से उसका ... कोई संबंध नहीं है? है... कल्पना...वास्तविकता से जुड़ी है, हमारी भावनाएं जब लिखती हैं, उन शब्दों को आकर्षण ढूंढ लेती है,