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عشق کے امتحاں *इश्क़ के इम्तिहाँ सारे जहाँ से अच्

عشق کے امتحاں  *इश्क़ के इम्तिहाँ

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा 
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा

तराना-ए-हिन्द के रचयिता अज़ीम शायर अल्लामा इक़बाल का आज जन्मदिन है। उनके ही एक शेर के टुकड़े पर अपनी नज़्म लिखें।

सितारों से आगे जहाँ और भी है
عشق کے امتحاں  *इश्क़ के इम्तिहाँ

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा 
हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा

तराना-ए-हिन्द के रचयिता अज़ीम शायर अल्लामा इक़बाल का आज जन्मदिन है। उनके ही एक शेर के टुकड़े पर अपनी नज़्म लिखें।

सितारों से आगे जहाँ और भी है