कुछ शब्द ज़िद्द पे अड़े हैं, वाक्य हो जाना चाहते हैं, आवारा से इधर घूम रहे हैं, वाक्य भी ज़िद्द पे डटा है, ख्यालों पे पहरा कड़ा है, इसी बवाल में भावना , सिसक सिसक कर मर गई है, शब्द अब सर झुकाए.... अपने आप पर शर्मिंदा हैं, देखा ज़िद्द का हश्र अपनी? ये एक दूजे से कह रहे हैं।।। दीप कुलभूषण #yqज़िद्द #yqquotes #yqdidi #yqविचार #yqकुलभूषण