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रूकना नहीं है मुझे बस चलना चाहती हूं ! अनजान चेह

 रूकना नहीं है मुझे बस चलना चाहती हूं !
 अनजान चेहरों को पढ़ना चाहती हूं !
 अनुभव के खजाने में नये मोती सजाने हैं !
 तन्हाई की बातों को समझना चाहती हूं !
❤🙏🏿❤
चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो !
 झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो !
 जिंदगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो !
 मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो !

©DIWAN SINGH
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diwansingh2145

DIWAN SINGH

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