सुना है आसमान से आगे कहीं ख़ुदा रहता है उसके घर में नूर कंगूरे हैं और धूप के फाॅनूस हैं जिन्हें कोई छू नहीं सकता सुना है वहाँ कभी रात नहीं होती और दिन पशमीना के कालीन सा बिछा रहता है वहाँ पैरों की जात नहीं पूछी जाती और परों का कुफ्र नहीं तोला जाता जब ज़मीर इश्क़ बन जाए और जेहन बंजारा सुना है राहें वहाँ ले ही जाती हैं सुना है आसमान से आगे कहीं ख़ुदा रहता है #main_kaun_tu_khamakhan #मै_कौन_तू_खाँमखाँ #खुदा_का_घर #khuda_ka_ghar