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लो पूरा हुआ एक और त्यौहार ला कर आंगन में बहार, कर

लो पूरा हुआ एक और त्यौहार
ला कर आंगन में बहार, 
कर गया सुना आंगन हमारा
 फिर से एक बार।
बहुत उत्साह जगा गया,
बहुत कुछ हमको सीखा गया।
बहुत लोग आए, साथ इसको मनाने।
फिर चल दिए अपने आशियाने।
ठेकुआ, पुरुकिया, फलों से सजे डाले
आज पड़े है घर के अटाले।
एक उम्मीद छोड़ गया त्यौहार पीछे
अगले बरस आयेगे तुम्हारे देहरी
तुम रखना आस और विश्वास
यही है रीत, यही है प्रीत।

©Archana Chaudhary"Abhimaan"
  #festivaldchath