और हर तरफ किसी मंजिल से मिलते हैं हर मंजिल मुझे रिझाती है मुझे अपनी और बुलाती है मैं भी कैसा मनमौजी हूँ हर तरफ मन को दौडाता हूँ पर एक समस्या जागी है किस्मत की दौडा भागी है मुझे एक राह ही चुननी है उस में एक दुनिया बुननी है फिर भी इन दूजे रस्तों में मैं थोड़ी दौड़ लगाता पागल दिल को समझता हूं कि मंजिल में क्या रखा है उस को ही कदर है जीवन की जिस ने झेला हर धक्का है न हिम्मत अपनी हारी है और रखा इरादा पक्का है जिसे मंजिल का कोई मोह नही उसने रस राह का चक्खा है रास्ते अक्सर हमें उलझा कर रखते हैं। मगर किया क्या जाए कि इस उलझन का भी अपना मज़ा है। एक लेखक हर अवस्था में आनंदित रहता है। प्रिय लेखको, कोलैब कीजिये YQDidi के साथ। #ये_रास्ते #yqdidi #yqbaba #collab_yqdidi शुभकामनाएँ। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi