सोचा न था कि मुझे भी इश्क हो जयेगा, कुछ पल मुस्कुरा के आसुओ मे बदल जयेगा , सुकून से सोता था रत भर, सुबह भी देर से उठता था, लेकिन सोचा न था रात करवट में बदल जायेगा। अहसास के मीठे पल में खो जाऊंगा, होश में गर आया तो खुद को यादो के साहिल पे पाउँगा, सोचा न था मुझे भी इश्क हो जयेगा, वफ़ा करके भी बेवफा बन जाऊँगा, सब कुछ छोड़ दिया जिसके लिए, उन्ही के लिए अजनबी बन जाऊंगा। वक्त-बे-वक्त तू चली आती है याद बनके जेहन में, पलको पे आंसू, दिल में तलबगार लेके, सोचा न था घर का सबसे समझदार बावला हो जयेगा। सबको समझने वाला खुद नासमझ हो जयेगा। सोचा न था मुझे भी इश्क हो जयेगा। ##प्रदीप सरगम## #dilbechara vkcareerguru