" लिखता हूं तुझे शामों शहर क्या अंदाज़ लेकर फिर रहे हैं , कुरवत हो की कही तु दिखे मैं बहकते हुए सम्भल जाऊ . " --- रबिन्द्र राम " लिखता हूं तुझे शामों शहर क्या अंदाज़ लेकर फिर रहे हैं , कुरवत हो की कही तु दिखे मैं बहकते हुए सम्भल जाऊ . " --- रबिन्द्र राम #लिखता #शामों #शहर #अंदाज़ #कुरवत #बहकते #सम्भल