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चलो अपनी राह चले हम सम्बन्धों का दाह करे हम निरा

चलो अपनी राह चले हम 
सम्बन्धों का दाह करे हम 
निराशा, घृणा, क्रोध तत्वों को 
मन अग्नि में स्वाह करे हम ... 

अपेक्षाऐं सब दूर हटा दें
हृदय प्रपंच मुक्त बना लें 
पवित्रता का जल अपर्ण कर 
मनुष्य धर्म निर्वाह करे हम ... 

सीमाऐं तय की थी हमने 
बाधाऐं झेली थी हमने 
थक के हाथ छिटक गया है 
ख़ुद ही ख़ुद से चाह करे हम ... 

चलो अपनी राह चले हम 
सम्बन्धों का दाह करे हम ... 
©Ashok Mukherjee #kavita #hindi
चलो अपनी राह चले हम 
सम्बन्धों का दाह करे हम 
निराशा, घृणा, क्रोध तत्वों को 
मन अग्नि में स्वाह करे हम ... 

अपेक्षाऐं सब दूर हटा दें
हृदय प्रपंच मुक्त बना लें 
पवित्रता का जल अपर्ण कर 
मनुष्य धर्म निर्वाह करे हम ... 

सीमाऐं तय की थी हमने 
बाधाऐं झेली थी हमने 
थक के हाथ छिटक गया है 
ख़ुद ही ख़ुद से चाह करे हम ... 

चलो अपनी राह चले हम 
सम्बन्धों का दाह करे हम ... 
©Ashok Mukherjee #kavita #hindi