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काश! वो वक्त पलट के फिर से आ जाए जब तुझे मेरी एक

काश! वो वक्त पलट के फिर से आ जाए 
जब तुझे मेरी एक उंगली पर एतवार खुद से ज्यादा था 
मेरे कंधे पर चढ़कर जब तू इतराता था
और तेरे मासूम आंखों में जाने कितने किस्से थे
जिसे तू हर रोज  एक नई कहानी बना कर बताता था
और सिमट कर मुझ में जब तू  मै  हो जाता था
मेरी तरह  हंसता मेरी तरह मुस्कुराता था
परवाह नहीं थी मुझे दुनिया की तेरे आगे 
क्योंकि मेरे लिए तू  हर अहम से ऊपर आता था

 अब वक्त की रफ्तार में कहीं खो  गए हैं हम
साथ रहकर भी मिलो दूर हो गए है  हम 
 अब मेरे जख्मों पर कोई मरहम नहीं लगता
मेरे कपते हाथों पर तू अपने हाथों की गर्मी क्यों नहीं रखता?

©Chitra Gupta
  #kyoun? 
#justice