भूल सकता नहीं जो पड़ी लाठियां रक्त रंजित मगर सीने पर गोलियां बोई बंदूकें ये है वही तो जमीं लाल खोकर भी आंखों में ना थी नमीं ये तिरंगा नहीं ये तो अभिमान है आन है ये यही तो मेरी जान है। ©कवि मनोज कुमार मंजू #लाठियां #रक्तरंजित #गोलियाँ #बंदूक #आन #तिरंगा #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू