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जहाँ भी जाती हूँ घूरती निगाहें हैं। जैसे कोई दूसरे

जहाँ भी जाती हूँ घूरती निगाहें हैं। जैसे कोई दूसरे ग्रह का जीव देख लिया हो। खाना खाते समय ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे अछूत हूँ। बचपन में मम्मी भी कई बार बोलते थे ससुराल वाले क्या कहेंगे???
(Read in caption) जहाँ भी जाती हूँ घूरती निगाहें हैं। जैसे कोई दूसरे ग्रह का जीव देख लिया हो। खाना खाते समय ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे अछूत हूँ। बचपन में मम्मी भी कई बार बोलती थी। कई बाहर खाना खाती तो कहते थे कि उल्टे हाथ से खाती हो? ससुराल वाले क्या कहेंगे। अच्छा नहीं माना जाता। सीधे हाथ से खाया करो। जब स्कूल जाती थी तो कहते थे खब्बू हो। अब तुम ही बताओ यार कि मेरी गलती क्या हैं ? 

क्योंकि तुम बहुत अलग हो इन दुनिया वालों से। जैसा वो करते हैं तुम वैसा नहीं करती। अंकुर ने उसके हाथ में हाथ रखते हुए कहा। तुम्हें पता
जहाँ भी जाती हूँ घूरती निगाहें हैं। जैसे कोई दूसरे ग्रह का जीव देख लिया हो। खाना खाते समय ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे अछूत हूँ। बचपन में मम्मी भी कई बार बोलते थे ससुराल वाले क्या कहेंगे???
(Read in caption) जहाँ भी जाती हूँ घूरती निगाहें हैं। जैसे कोई दूसरे ग्रह का जीव देख लिया हो। खाना खाते समय ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे अछूत हूँ। बचपन में मम्मी भी कई बार बोलती थी। कई बाहर खाना खाती तो कहते थे कि उल्टे हाथ से खाती हो? ससुराल वाले क्या कहेंगे। अच्छा नहीं माना जाता। सीधे हाथ से खाया करो। जब स्कूल जाती थी तो कहते थे खब्बू हो। अब तुम ही बताओ यार कि मेरी गलती क्या हैं ? 

क्योंकि तुम बहुत अलग हो इन दुनिया वालों से। जैसा वो करते हैं तुम वैसा नहीं करती। अंकुर ने उसके हाथ में हाथ रखते हुए कहा। तुम्हें पता
shashirawat3736

Shashi Aswal

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