आज मन हैं एक नज्म लिखने का, जिसका उन्मान हो "तुम" जिसका हर लफ्ज हूँ "मैं" पर उसके मानी हो "तुम" जिसकी लय हूँ मैं, पर संगीत हो तुम; इस नज्म में बात होगी सिर्फ तुम्हारी, तुम्हारे चेहरे की,तुम्हारी आँखों पर काली घटा के पहरे की; तुम्हारी मुस्कान की,तुम्हारी बात की और.....हमारे जज्बात की😊 ....मन हैं एक #नज़्म लिखने का