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फूलन देवी ..…........... कलियुग के भेड़िये पहले ल

फूलन देवी 
..…...........

कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं धूप ,न ही बादलों का बज्र गिरा था ....
जिश्म के लुटेरों ने नंगा खेल खेला था....
दर्शक बने लोग मगर किसी का आत्मा न जागा था ,...
हर उम्मीद सोया, इंसानियत नहीं जगा था....
मर गई आत्मा वही, एक लाश ने कसम खाया था....
बदले की भावना सिर चढ़ कर बोला था.…..
उस दिन फूलन में काली दुर्गा की शक्ति आई थी....
खुद को कर बुलन्द  बंदूक उठाई थी...
ठोक कर गोलियां दरिंदों को छटी का दूध याद दिलाया था....
नारी शक्ति को जागृत कर दिखाया था....
खुद के बदौलत फैसला सुनाया था .....
उस दिन फूलन इतिहास में अपना अध्याय लिखा था ....
उस दिन से फूलन का परचम लहराया था.....
ईज्जत के लुटेरों को औकाद बताने का दौर नया आया था......

©Nisheeth pandey फूलन देवी 
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कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं धूप ,न ही बादलों का बज्र गिरा था ....
जिश्म के लुटेरों ने नंगा खेल खेला था....
दर्शक बने लोग मगर किसी का आत्मा न जागा था ,...
फूलन देवी 
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कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं धूप ,न ही बादलों का बज्र गिरा था ....
जिश्म के लुटेरों ने नंगा खेल खेला था....
दर्शक बने लोग मगर किसी का आत्मा न जागा था ,...
हर उम्मीद सोया, इंसानियत नहीं जगा था....
मर गई आत्मा वही, एक लाश ने कसम खाया था....
बदले की भावना सिर चढ़ कर बोला था.…..
उस दिन फूलन में काली दुर्गा की शक्ति आई थी....
खुद को कर बुलन्द  बंदूक उठाई थी...
ठोक कर गोलियां दरिंदों को छटी का दूध याद दिलाया था....
नारी शक्ति को जागृत कर दिखाया था....
खुद के बदौलत फैसला सुनाया था .....
उस दिन फूलन इतिहास में अपना अध्याय लिखा था ....
उस दिन से फूलन का परचम लहराया था.....
ईज्जत के लुटेरों को औकाद बताने का दौर नया आया था......

©Nisheeth pandey फूलन देवी 
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कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं धूप ,न ही बादलों का बज्र गिरा था ....
जिश्म के लुटेरों ने नंगा खेल खेला था....
दर्शक बने लोग मगर किसी का आत्मा न जागा था ,...