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चुनाव के दिन समीप थे, मंत्रीजी घबराये थे , कल ही

चुनाव  के दिन समीप थे, मंत्रीजी घबराये थे ,
कल ही जनता ने प्रचार में जूते चप्पल बरसाए थे। 
मंत्रीजी जी विचार  किये फिर एक पंडित के पास गए ,
मेवा मिष्ठान माल मुद्रा ,सब पंडित जी को भेंट किये ,
बोले प्रभुजी कुछ कृपा  करो मेरा भी कुछ उद्धार करो 
ये चुनाव वैतरणी है अब इससे मुझको पार करो। 

मोटा मुर्गा फंसा देख पंडितजी मन में हर्षाये ,
मंत्री की कुंडली देख देख अपना मुख थोड़ा बिचकाये,
बोले राहु केतु के मध्य सारे ग्रह बैठे हुए हैं 
इसी कारण देवतागण आपसे ऐंठे  हुए हैं। 
यही कारण है जनता में उपजा रोष है ,
क्योंकि श्रीमान आपकी कुंडली में कालसर्पदोष है। 

इक्क्यावन हजार दक्षिणा और एक गाय का दान करो ,
एक सांप को एक महीने बेटे जैसा प्यार करो। 

पंडितजी के निर्देशों पर मंत्रीजी ने अमल किया ,
सांप ख़रीदा घर को लाये शुद्ध दूध का जतन किया। 
 एक माह तक मंत्री जी ने सांप की जमकर सेवा की ,
चुनाव नतीजे से ज्यादा अब सांप की रहती चिंता थी 
( Complete poem in caption...)
  #yqbaba #poem #hasyavyang #satire #mantriji_aur_saanp

चुनाव  के दिन समीप थे, मंत्रीजी घबराये थे ,
कल ही जनता ने प्रचार में जूते चप्पल बरसाए थे। 
मंत्रीजी जी विचार  किये फिर एक पंडित के पास गए ,
मेवा मिष्ठान माल मुद्रा ,सब पंडित जी को भेंट किये ,
बोले प्रभुजी कुछ कृपा  करो मेरा भी कुछ उद्धार करो 
ये चुनाव वैतरणी है अब इससे मुझको पार करो।
चुनाव  के दिन समीप थे, मंत्रीजी घबराये थे ,
कल ही जनता ने प्रचार में जूते चप्पल बरसाए थे। 
मंत्रीजी जी विचार  किये फिर एक पंडित के पास गए ,
मेवा मिष्ठान माल मुद्रा ,सब पंडित जी को भेंट किये ,
बोले प्रभुजी कुछ कृपा  करो मेरा भी कुछ उद्धार करो 
ये चुनाव वैतरणी है अब इससे मुझको पार करो। 

मोटा मुर्गा फंसा देख पंडितजी मन में हर्षाये ,
मंत्री की कुंडली देख देख अपना मुख थोड़ा बिचकाये,
बोले राहु केतु के मध्य सारे ग्रह बैठे हुए हैं 
इसी कारण देवतागण आपसे ऐंठे  हुए हैं। 
यही कारण है जनता में उपजा रोष है ,
क्योंकि श्रीमान आपकी कुंडली में कालसर्पदोष है। 

इक्क्यावन हजार दक्षिणा और एक गाय का दान करो ,
एक सांप को एक महीने बेटे जैसा प्यार करो। 

पंडितजी के निर्देशों पर मंत्रीजी ने अमल किया ,
सांप ख़रीदा घर को लाये शुद्ध दूध का जतन किया। 
 एक माह तक मंत्री जी ने सांप की जमकर सेवा की ,
चुनाव नतीजे से ज्यादा अब सांप की रहती चिंता थी 
( Complete poem in caption...)
  #yqbaba #poem #hasyavyang #satire #mantriji_aur_saanp

चुनाव  के दिन समीप थे, मंत्रीजी घबराये थे ,
कल ही जनता ने प्रचार में जूते चप्पल बरसाए थे। 
मंत्रीजी जी विचार  किये फिर एक पंडित के पास गए ,
मेवा मिष्ठान माल मुद्रा ,सब पंडित जी को भेंट किये ,
बोले प्रभुजी कुछ कृपा  करो मेरा भी कुछ उद्धार करो 
ये चुनाव वैतरणी है अब इससे मुझको पार करो।