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तिश्नगी तेरी है तू रूह को मेरी है जाहिर क्या बेसु

तिश्नगी तेरी है तू रूह को मेरी है जाहिर 
क्या बेसुधी है जो हस्ती मेरी कामिल नहीं है  #wingsofpoetry 
#कामिल
तिश्नगी तेरी है तू रूह को मेरी है जाहिर 
क्या बेसुधी है जो हस्ती मेरी कामिल नहीं है  #wingsofpoetry 
#कामिल