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सुप्रभात ए सुबह तू मुझ में महक रही है मेरी खिलखिला

सुप्रभात ए सुबह तू मुझ में महक रही है
मेरी खिलखिलाट से चहक रही है,,,,,,,

ओंस की बूंदे बिखरी पड़ी है पत्तों पर
मोती बन तू उनमें चमक रही है,,,,,,,,,,,

रास्तो की डगर दोनों तरफ घास की लहर
कदमों की आहट से पत्तों की सरसराहट से जग रही है,,,,,,,
सुप्रभात ए सुबह तू मुझ में महक रही है
मेरी खिलखिलाट से चहक रही है,,,,,,,

ओंस की बूंदे बिखरी पड़ी है पत्तों पर
मोती बन तू उनमें चमक रही है,,,,,,,,,,,

रास्तो की डगर दोनों तरफ घास की लहर
कदमों की आहट से पत्तों की सरसराहट से जग रही है,,,,,,,
vandana6771

Vandana

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