कोहरा ज़िदगी पहले से ही तुझ बिन विरान है फिर इसकी शाख पर कोहरा तेरा छाया है रास्तें भी अब धुँधले हो चुके है तेरे निसा अब ढुँढू भी तो कैसे...? ~©Reserved by#KISHAN KORRAM #kohra #ज़िदगी पहले से ही तुझ बिन विरान है फिर इसकी शाख पर कोहरा तेरा छाया है रास्तें भी अब धुँधले हो चुके है तेरे निसा अब ढुँढू भी तो कैसे...? ~©Reserved by#KISHAN KORRAM