हम अभी तो लड़ रहे है, सीढ़ियां ही चढ़ रहे है। गांव से था इश्क अपना पर शहर को गढ़ रहे है ।(बनाना) इश्क हमने पढ़ लिया है, अब खुदी को पढ़ रहे है। गांव में थी रूह अपनी अब तो केवल धड़ रहे है। यार वो लड़की कहाँ है ? खुद को जिससे से मढ़ रहे है । तुम न “सञ्जय” पास बैठो, हम अकेले पड़ रहे है। #Sanjaykirar #ThePoetsLibrary