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मन की आखों से देखों क्योंकि करोना और इन्सानों में

मन की आखों से देखों क्योंकि करोना और इन्सानों में जाने क्या रिश्ता है,जो लौट- लौट कर ये आता है,ये तो मैं नहीं जानता पर इसने इतना जरूर किया है मेरे साथ कि एक बार फिर से मुझको तेरी यादों के पास ढकेल के ला दिया है, मुझे अच्छे से याद है कि तेरे जाने के बाद मैं कितना तन्हा सा रह गया था, और आज फिर से इस करोना में मैं खुद को खाली- खाली और तन्हा सा महसूस कर रहा हूँ.... जरुरत है तो बस मन की आंखों से एक बार मेरी और देखने की..

©दो पल का शायर #AdhurapanKhali

#AdhureVakya
मन की आखों से देखों क्योंकि करोना और इन्सानों में जाने क्या रिश्ता है,जो लौट- लौट कर ये आता है,ये तो मैं नहीं जानता पर इसने इतना जरूर किया है मेरे साथ कि एक बार फिर से मुझको तेरी यादों के पास ढकेल के ला दिया है, मुझे अच्छे से याद है कि तेरे जाने के बाद मैं कितना तन्हा सा रह गया था, और आज फिर से इस करोना में मैं खुद को खाली- खाली और तन्हा सा महसूस कर रहा हूँ.... जरुरत है तो बस मन की आंखों से एक बार मेरी और देखने की..

©दो पल का शायर #AdhurapanKhali

#AdhureVakya