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अमर-प्रेम वो सागर की मचलती लहर है, मैं तट पर बिखर

अमर-प्रेम

वो सागर की मचलती लहर है, मैं तट पर बिखरा रेत।
उमड़-घुमड़ कर आती रहती है, वो मुझसे करने भेंट।
मैं डूब जाता हूँ उसमें , और वो मुझमें समा जाती है,
अचंभित रहती है दुनियाँ, हमारे 'अमर-प्रेम' को देख।। #lovequotes #imagination #powerofthinking #truelove
अमर-प्रेम

वो सागर की मचलती लहर है, मैं तट पर बिखरा रेत।
उमड़-घुमड़ कर आती रहती है, वो मुझसे करने भेंट।
मैं डूब जाता हूँ उसमें , और वो मुझमें समा जाती है,
अचंभित रहती है दुनियाँ, हमारे 'अमर-प्रेम' को देख।। #lovequotes #imagination #powerofthinking #truelove