।।श्री हरिः।।
16 - ऊधमी
मैया यशोदा का लाल ऊधमी बहुत है। कब क्या ऊधम करेगा, कुछ ठिकाना नहीं रहता। इससे कुछ खटपट किये बिना रहा नहीं जाता है और लड़कियों को चिढाने, तंग करने का तो जैसे इसे व्यसन है।
लडकियाँ भी तो ऐसी हैं कि इससे दूर नहीं रह पाती, किन्तु इसमें बेचारी लड़कियों का क्या दोष है। यह भुवनमोहन है ही ऐसा कि इससे दूर तो पशु-पक्षी भी नहीं रह पाते, मनुष्य कैसे दूर रहेगा।
गोपकुमार प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही नन्दभवन आ जाते हैं। जागते ही उन्हें कन्हाई के समीप पहुँचने की धुन चढती है। मातायें किसी प्रकार उनके मुख धुला पाती हैं और छींके सजाकर दे देती हैं। कलेऊ तो सबको कृष्णचन्द्र के साथ ही करना रहता है। दिन भर वन में साथ रहेंगे और सायंकाल लौटकर भी अपने घरों में कितने क्षण टिकते हैं? सब तो किसी प्रकार स्नान करके कुछ मुख में डालकर नन्दभवन भागते हैं। इन्हें तो रात्रि में तब इनकी मातायें घर ले जाती हैं जब कन्हाई को निद्रा आने लगती है और ये स्वयं ऊँघने लगते हैं। #Books