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वो अकेली रात सोच के भी डर लगता है  मंज़र उस अकेली

वो अकेली रात

सोच के भी डर लगता है 
मंज़र उस अकेली रात का 
कितना दर्द छुपा रखा था 
उसने अपनी आंखों में 

यादों की बारात 
आँसू बन कर बाहर आ रही थी 
वहीं वो उस घर के कोने में 
सिसक - सिसक कर रो रही थी 

उसकी यादें उसके दिल से
 बेइंतहा मोहब्बत करती थी 
पर शायद कुछ मजबूरियां
 उसकी आवाज में साफ़ झलका करती थी 

हर पल अपने आप को 
उसके साथ बिताए लम्हों से बहलाती थी 
अपना असली अस्तित्व भूल कर 
खुद को उसका साया बतलाती थी 

उसकी खुशियों में
 खुश रहना सीख लिया था 
और हर पल उसकी खुशियाँ तलाशती थी 
कि जब वो हँसता था 
तो खुद को आबाद पाती थी 

पर 
उसके जाने के बाद 
वो हर पल 
उसीकी यादों में खोया करती थी 
हाँ! उसके जाने के बाद 
वो सिसक- सिसक कर रोया करती थी 

उसको नायाब हीरा माना करती थी 
पर उसे मालूम नहीं था 
कि वो उसके लिए मात्र एक मोती थी 

हाँ शायद वही अकेली रात थी 
जिसमें उनके रिश्ते की डोर खत्म होती थी 
और उसके बाद से हर रात 
उस घर के कोने में 
वो सिसक - सिसक कर रोती थी 

-संस्कृति  wo akeli raat
#loniless
#love
वो अकेली रात

सोच के भी डर लगता है 
मंज़र उस अकेली रात का 
कितना दर्द छुपा रखा था 
उसने अपनी आंखों में 

यादों की बारात 
आँसू बन कर बाहर आ रही थी 
वहीं वो उस घर के कोने में 
सिसक - सिसक कर रो रही थी 

उसकी यादें उसके दिल से
 बेइंतहा मोहब्बत करती थी 
पर शायद कुछ मजबूरियां
 उसकी आवाज में साफ़ झलका करती थी 

हर पल अपने आप को 
उसके साथ बिताए लम्हों से बहलाती थी 
अपना असली अस्तित्व भूल कर 
खुद को उसका साया बतलाती थी 

उसकी खुशियों में
 खुश रहना सीख लिया था 
और हर पल उसकी खुशियाँ तलाशती थी 
कि जब वो हँसता था 
तो खुद को आबाद पाती थी 

पर 
उसके जाने के बाद 
वो हर पल 
उसीकी यादों में खोया करती थी 
हाँ! उसके जाने के बाद 
वो सिसक- सिसक कर रोया करती थी 

उसको नायाब हीरा माना करती थी 
पर उसे मालूम नहीं था 
कि वो उसके लिए मात्र एक मोती थी 

हाँ शायद वही अकेली रात थी 
जिसमें उनके रिश्ते की डोर खत्म होती थी 
और उसके बाद से हर रात 
उस घर के कोने में 
वो सिसक - सिसक कर रोती थी 

-संस्कृति  wo akeli raat
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sanskriti7958

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