मैंने कहा उससे.... की देखो वक़्त हमेशा मुझ पर ही हावी हुई.. हालात को स्वीकारा है जब जब भी मैंने.. दिल ए ख्वाइश तब तब रुखसत हुई..! चंद अरमां दिल में लिए चले थे हम.. लगता है जैसे हौसलों से अनबन हुई ..! बहुत कुछ सुनना है तुमसे, कहना है हया से बहुत कुछ.. हर बात पर वो एक बात जाने कैसे लबों तले दब गई..! लम्हें बीत गए, पर एहसास ताज़े है अब भी ... कुछ जी गए हम, कुछ बस उम्मीदों के हिस्से रह गई.. तेरी फ़िक्र से साँसे बढ़ जाती है मेरी, और इन्हीं फिक्र के साथ , मैं तुझ में ही जी गई.! ©Jayashree Mishra #लम्हों #jayashree17