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तेरे बिन भी जी रहे थे हम पी रहे थे आँसू खा रहे थे


तेरे बिन भी जी रहे थे हम
पी रहे थे आँसू खा रहे थे ग़म
एक इंतज़ार था, जिसमें उम्मीद 
और ज़िंदगी का अहसास था
कुछ ना होकर भी कुछ तो था जो मेरे पास था

अब वो इंतज़ार भी नहीं
सांसों पे हमें एतबार भी नहीं
तेरे बिन मेरे दिल को करार भी नहीं
सब कुछ फ़ना सा लगता है अब मुझे
भ्रम है सब ,,,,यकीन का सवाल ही नहीं! 

तेरे बिन सब अचर है
जाने जीवन कहाँ , बहाव किधर है..? 
कभी कभी खामोशियों में तुम  मिलते हो
फ़िर उन्हीं ख़ामोशियों में जा छिपते हो
कहो  इस तरह बिछड़ने का ग़म क्या तुम भी सहते हो..? 
✍️निरूपा कुमारी
स्वरचित

©Nirupa Kumari
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#Tanhai 
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#judai😔