क्या वो तेरे चेहरें की मासूमियत थीं, या फिर था तेरा कोई नक़ाब। तेरा मुझसे यूही रुखसत होतें ही, बेमतलब, बेफजूल मुझें सताते ही, मिल गया था मेरा जबाब। जो तुम तोड़ गये थे जाते जाते मेरे कुछ सजाएं हुए ख़्वाब। क्या वो तेरे चेहरें की मासूमियत थीं, या फिर था तेरा कोई नक़ाब।