Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं प्रेम हूँ तेरे अस्त्वित्व् में विलय चाहता उग

मैं प्रेम हूँ 
तेरे अस्त्वित्व् में विलय चाहता 
उगते सवेरे सा उम्मीद और ढलते शांम सा सुकूँ हूँ
तेरे बदन से हो तेरे सांसो में बेहना चाहता 
मुमकिन हर सौगात ख़ुशी के 
मैं शब्द आवारा हूँ
तेरे लहजे तेरे पाक नज्म़ में तराश जाना चाहता
मैं राज एक अलबेला सा हूँ
तुम्हारे जिज्ञासा में सुलझना चाहता 
तह तह उकेरो तुम मैं तुम्हारे खोज का परिणाम होना चाहता 
मैं ख्वाब एक लम्हां सा 
तेरे आँखों में जगना चाहता 
सुमार बेपनाह बन 
लबों पे ठहरना चाहता
बेशक खुदा तुम मेरे जहान की
बन ईबादत तुम्हारे ह्र्दय में कुबूल होना चाहता
मैं रात हूँ 
तुम्हारे नींदों का साज चाहता 
चाँद सा खूबसूरत तो मैं नहीं 
मगर तुम्हें अपना सर्वस्व अर्पित करना चाहता
शब्द है शब्दों का धनी मैं 
तुम्हें दुनियांभर के नज्म़ 
गजल उपन्यास लिखना चाहता
है मगर खबर मुझे इक 
लिख दूँगा सांसो के रहते एक मुकम्मल 
गजल तुम्हें , गढ़ दूँगा तरन्नुम स्नेह को तुम्हारे 
हाँ लिख दूँगा सारी भाषाऔं  में  कामिल कि अर्धांगिनी तुम्हें 
एक एक शब्द खोज लिखूंगा क्षणिकाएँ तुम्हें 
एक नई भाषा में प्रिय
अलंकार हूँ 
उपसर्ग सा  तेरे नामों के आगे लगना चाहता
राह अंतहीन मैं 
तुम्हारे पाँव का स्पर्श चाहता 
आज नहीं कल नहीं 
मैं सृस्टि के अंत तक 
तुम्हारा होना चाहता

©kunal kanth #dedicated_to_my_lifeline 
#dedicatedtomylove 
#love❤ 
#kamil_kavi 
#Kunalpoetry 
#Komu❤️🌹 
#kunu
मैं प्रेम हूँ 
तेरे अस्त्वित्व् में विलय चाहता 
उगते सवेरे सा उम्मीद और ढलते शांम सा सुकूँ हूँ
तेरे बदन से हो तेरे सांसो में बेहना चाहता 
मुमकिन हर सौगात ख़ुशी के 
मैं शब्द आवारा हूँ
तेरे लहजे तेरे पाक नज्म़ में तराश जाना चाहता
मैं राज एक अलबेला सा हूँ
तुम्हारे जिज्ञासा में सुलझना चाहता 
तह तह उकेरो तुम मैं तुम्हारे खोज का परिणाम होना चाहता 
मैं ख्वाब एक लम्हां सा 
तेरे आँखों में जगना चाहता 
सुमार बेपनाह बन 
लबों पे ठहरना चाहता
बेशक खुदा तुम मेरे जहान की
बन ईबादत तुम्हारे ह्र्दय में कुबूल होना चाहता
मैं रात हूँ 
तुम्हारे नींदों का साज चाहता 
चाँद सा खूबसूरत तो मैं नहीं 
मगर तुम्हें अपना सर्वस्व अर्पित करना चाहता
शब्द है शब्दों का धनी मैं 
तुम्हें दुनियांभर के नज्म़ 
गजल उपन्यास लिखना चाहता
है मगर खबर मुझे इक 
लिख दूँगा सांसो के रहते एक मुकम्मल 
गजल तुम्हें , गढ़ दूँगा तरन्नुम स्नेह को तुम्हारे 
हाँ लिख दूँगा सारी भाषाऔं  में  कामिल कि अर्धांगिनी तुम्हें 
एक एक शब्द खोज लिखूंगा क्षणिकाएँ तुम्हें 
एक नई भाषा में प्रिय
अलंकार हूँ 
उपसर्ग सा  तेरे नामों के आगे लगना चाहता
राह अंतहीन मैं 
तुम्हारे पाँव का स्पर्श चाहता 
आज नहीं कल नहीं 
मैं सृस्टि के अंत तक 
तुम्हारा होना चाहता

©kunal kanth #dedicated_to_my_lifeline 
#dedicatedtomylove 
#love❤ 
#kamil_kavi 
#Kunalpoetry 
#Komu❤️🌹 
#kunu
kunalkarn5063

Author kunal

Silver Star
Growing Creator